सब न बेचो दुकानियों के लिये।
कुछ तो रख लो निशानियों के लिये।।
इतने ज़्यादा भी बाँध मत बाँधो
क्या बचेगा रवानियों के लिये।।
यूँ भी दुनिया बदलने वाली है
तुम न होगे कहानियों के लिये।।
रास्ते राजपथ के छोड़ो भी
इन उमड़ती जवानियों के लिये।।
एक दिन लोग तुम पे थूकेंगे
आज की लन्तरानियों के लिये।।
सुरेश साहनी
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