जाने कितने ज़ख़्म दिल पर दे गया।

जो  मुझे  ग़म के  समुंदर  दे  गया।।


ले गया  नींदे   उड़ाकर  बेवफा

पर मुझे ख़्वाबों के लश्कर दे  गया।।


गुलबदन कहता था मुझको प्यार से

हाँ वही कांटों का बिस्तर दे  गया।।


ले गया  सुख चैन जितना ले सका

उलझनें लेकिन बराबर दे  गया।।


सादगी क़ातिल की मेरे देखिये

मुझको उनवाने- सितमगर दे गया।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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