क्या जाने किसकी सेवकाई करता हूँ।

रोज उधड़ता हूँ तुरपाई करता हूँ।।

रीझा करता हूँ जब तब मैं ख़ुद पर ही

प्रभु के आगे नित्य  ढिठाई करता हूँ।।

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