कहाँ खो गए तुम बुलाते बुलाते।

बताते वही गीत हम गुनगुनाते।।

किधर जाके ढूंढें किसे हम पुकारें

कहीं भी गए तुम बताकर तो जाते।।

यकीनन मनाते तुम्हे हर तरह से

मगर तुम हमें रूठकर तो दिखाते।।

किधर जा रहे हो ये चेहरा छुपाए

चलो अब बता दो मुहब्बत के नाते।।

अजी कुछ तो बोलो हुआ क्या है ऐसा

जो चुप हो गए हो सुनाते सुनाते।।

सुरेशसाहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है