साहित्य का कारपोरेटीकरण

इसका सम्बन्ध स्तर से नहीं 

मार्केटिंग मैनेजमेंट से होगा

तब कुछ साहित्यकार 

बहुत सम्पन्न होंगे

जावेद अख्तर और

चेतन भगत की तरह

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है