तुम नहीं तो क्या सहारे और हैं।
और सूरज चाँद तारे और हैं।।
क्या गुमाँ है इक तुम्हारे और हैं।
सुन कि कितने ही हमारे और हैं।।
तुमने क्या सोचा कि हम जां से गये
अपनी किस्मत के सितारे और हैं।।
हुस्न पर बेशक़ ज़माना हो फिदा
इश्क़ वालों के नजारे और हैं।।
कुछ तो होंगे साहनी अहले-वफ़ा
किस तरह कह दें कि सारे और हैं।।
सुरेश साहनी, कानपुर
Comments
Post a Comment