माँ बेटी की मृत्यु से द्रवित हुआ संसार।

भृगुसुत क्यों आते नहीं लेकर आज कुठार।।

सहसबाहु नित कर रहे विप्रों का अपमान।

उठिये हे भृगुवंशमुनि कब लेंगे संज्ञान।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है